हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,आज का दिन वह काला दिन है जब ज्ञान और सत्य की शिक्षा देने वाले महान शिक्षक और इमाम को शहीद किया गया था, पैग़म्बरे इस्लाम स.ल. व.व. के पुत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की शहादत के दु:खद मौक़े पर दुनिया के विभिन्न देशों में शोक मनाया जा रहा हैं।
25 शव्वाल पैग़म्बरे इस्लाम (स.ल.व.व.) के उत्तराधिकारी हज़रत अली (अ) के वंशज इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) की शहादत का दिन है। 28 वर्षों तक इमामत की ज़िम्मेदारी संभालने और मुसलमानों का मार्गदर्शन करने के बाद 765 ईसवी में 65 वर्ष की आयु में अब्बासी ख़लीफ़ा मंसूर ने ज़हर द्वारा इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) को शहीद करा दिया था
मुसलमानों के बीच इमाम की लोकप्रियता और उनके हज़ारों शिष्यों के कारण अब्बासी ख़लीफ़ा मंसूर उन्हें अपने अवैध शासन के लिए एक चुनौती समझता था। शहादत के बाद इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) को पवित्र मदीना शहर में स्थित जन्नतुल बक़ी क़ब्रिस्तान में दफ़्ना दिया गया।
सुन्नी मुसलमानों के चार बड़े इमामों में से तीन इमाम शाफ़ई, मालिक और अबू हनीफ़ा, इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) के शिष्य थे और उन्होंने हज़रत से इस्लामी विषयों की शिक्षा प्राप्त की थी।
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) की 34 वर्ष की इमामत के दौरान, ख़ुदाई शिक्षाओं की प्राप्ति की चाहत रखने वालों के लिए प्रत्यक्ष रूप से ख़ुदा के प्रतिनिधि द्वारा उन्हें प्राप्त करने के लिए स्वर्णिम अवसर था।
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ.स.) ने सार्वजनिक रूप से एवं विशेष रूप से लोगों को विभिन्न विषयों का ज्ञान दिया हैं,सार्वजनिक क्लासों में शिया और सुन्नी दोनों भाग लेते थे और हज़रत इमाम सादिक़ (अ.स.) से ज्ञान प्राप्त किया करते थे।
ऐसी महान हस्ती जिसके अथक प्रयासों को पैग़म्बरे इस्लाम (स.ल.) के बाद इस्लामी इतिहास में महत्वपूर्ण माना जाता है। 25 शव्वाल 148 हिजरी क़मरी में आज के दिन इमाम शहीद कर दिए गए थे। उनकी शहादत से न केवल इस्लामी जगत, बल्कि ज्ञान और सत्य की खोज में रहने वालों को बहुत दुख पहुंचा।